हम- अभी आधे घण्टे से लाईट गुल थी ।
वो - गुल मतलब फूल ?
हम- अरे नहीं भाई
हम - अरे नहीं बबलू भाई ..मेरा मतलब बिजली चली गई थी
वो
-- चली गई थी मतलब कहाँ ? किसके साथ ?
हम
-- अब हमें क्या पता कहाँ गई थी? हमें बताकर कहाँ जाती है?
वो - तो फिर लौट कर आई ?
हम
-- हाँ वही तो कह रहा हूँ पूरे पन्द्रह मिनट बाद आई ?
वो
-- तो फिर ज्यादा दूर नहीं,
किसी पड़ोसी के घर गई होगी ?
हम
-- अच्छा , आपको बहुत जानकारी है ।
वो
-- हाँ , हमारी बिजली भी 15-20 मिनट में आ जाती है, पुछने पर
बताती है पड़ोसी के यहाँ मोमबत्ती लेने गई थी ।
हम - अच्छा , काफी तेज है आपका पड़ोसी ?
वो – हाँ, काफी तेज,
कहता है मुझे जिन्दगी में बहुत काम करने हैं, अभिसेक्स
मोनू से भी ज्यादा तेज ।
हम – अच्छा फिर ठीक है, वो कुछ करे या ना करे कहीं का बक्ता जरूर बन जायेगा ।
वो – खैर छोड़ो, आप ये बताओ बिजली गई और आधे घण्टे लौट आई फिर क्या हुआ ?
हम – इस बीच अंधेरे में हम पर आतंकी मच्छरों ने हमला बोल दिया ।
हम – अच्छा फिर ठीक है, वो कुछ करे या ना करे कहीं का बक्ता जरूर बन जायेगा ।
वो – खैर छोड़ो, आप ये बताओ बिजली गई और आधे घण्टे लौट आई फिर क्या हुआ ?
हम – इस बीच अंधेरे में हम पर आतंकी मच्छरों ने हमला बोल दिया ।
वो
– अच्छा ,
आपके यहाँ बिजली जाती है तो अंधेरा हो जाता है ?
हम – हाँ भाई , क्यूँ आपके यहाँ नहीं होता क्या ?
वो – नहीं, हमारी बिजली जिसके यहाँ जाती है उसके यहाँ अंधेरा हो जाता है ।
हम – फिर तो आपका पड़ोसी बहुत काम कर रहा है । आपके मोहल्ले में जल्दी ही कोई जज बनेगा ।
हम – हाँ भाई , क्यूँ आपके यहाँ नहीं होता क्या ?
वो – नहीं, हमारी बिजली जिसके यहाँ जाती है उसके यहाँ अंधेरा हो जाता है ।
हम – फिर तो आपका पड़ोसी बहुत काम कर रहा है । आपके मोहल्ले में जल्दी ही कोई जज बनेगा ।
वो
– चलिए
छोड़िये उससे हमें क्या लेना देना ..वो जाने और उसका काम । आप बतायें फिर क्या हुआ ?
हम – फिर क्या, हमने शबनम मौसी के स्टाईल में जितने को हो सका अपनी हथेलियों के बीच निपटाया ।
हम – फिर क्या, हमने शबनम मौसी के स्टाईल में जितने को हो सका अपनी हथेलियों के बीच निपटाया ।
वो
– अच्छा तो
इसमें नया क्या था ?
हम – बिजली जब आई तब देखा हाथों में भगवा रंग के धब्बे थे ।
हम – बिजली जब आई तब देखा हाथों में भगवा रंग के धब्बे थे ।
वो
– अरे
लेकिन खून के धब्बे तो लाल होंगे ना ?
हम – हमें मालूम है पिछली बार जब बिजली गई थी तब हमने लाल रंग देखकर यही कहा था साले माओवादी मच्छर .. रक्त पिपासू खूनी दरिन्दे ।
वो – फिर ?
हम – हमें मालूम है पिछली बार जब बिजली गई थी तब हमने लाल रंग देखकर यही कहा था साले माओवादी मच्छर .. रक्त पिपासू खूनी दरिन्दे ।
वो – फिर ?
हम
– फिर
क्या...हमारी इकलौती जेएनयू रिटर्न कौमनष्टी सास ने इसे सुन लिया और हमें खूब लताड़
लगाकर हमसे कहा – जिस प्राकृतिक पौष्टिक वनस्पतियों को खा खा
कर तुमने अपने शरीर में 6 लीटर खून जमा कर लिये हो यदि ये कमजोर और झाड़ीवासी मच्छर
अपने हक की दो बूँद खून तुम्हारे शरीर से चूस भी लिये इतना बखेड़ा । जानते हो जिन
वनस्पतियों को तुमने खा-पी कर पचा लिया है और इतना खून
जमा कर रखा है उन वनस्पतियों पर पूरा अधिकार इन्ही मच्छरों का है क्योंकि उन
झाड़ियों में आदिकाल से इनका आवास है और तुमने इसका घर उजाड़ कर अपना खून बढ़ाया है ।
वो
– अच्छा
फिर तुमने क्या किया ?
हम – हम और क्या करते , सजा के तौर पर सास को एक बनारसी साड़ी चन्दे में दी ।
वो - अच्छा तो फिर इस बार खून के धब्बे भगवा कैसे ?
हम – इस बार जैसे ही बिजली गई, जेएनयू रिटर्न कौमनष्टी सास ने हमारी हथेलियों में हल्दी लगा दिया, बस फिर क्या था बिजली जब आई तो हथेलियों पर भगवा धब्बे थे ।
जेएनयू रिटर्न कौमनष्टी सास ने तत्काल हमारी निजी गृहमंत्री को सबूत दिखाकर बताया – “देखो हाथों में भगवा धब्बे, अब ये साबित हो गया कि ये सारे हिन्दू मच्छर ही हैं ........"भगवा आतंकवादी” ।
हम – हम और क्या करते , सजा के तौर पर सास को एक बनारसी साड़ी चन्दे में दी ।
वो - अच्छा तो फिर इस बार खून के धब्बे भगवा कैसे ?
हम – इस बार जैसे ही बिजली गई, जेएनयू रिटर्न कौमनष्टी सास ने हमारी हथेलियों में हल्दी लगा दिया, बस फिर क्या था बिजली जब आई तो हथेलियों पर भगवा धब्बे थे ।
जेएनयू रिटर्न कौमनष्टी सास ने तत्काल हमारी निजी गृहमंत्री को सबूत दिखाकर बताया – “देखो हाथों में भगवा धब्बे, अब ये साबित हो गया कि ये सारे हिन्दू मच्छर ही हैं ........"भगवा आतंकवादी” ।
मेरे 10 वर्षीय प्रथम निजीगुणसूत्र ने बताया है कि गृह मंत्री एक कागज पढ़ कर भाषण याद कर रही है और कालोनी के महिलाओं की रात्रिकालीन चिंतन शिविर में ऐलान करने वाली है - “मेरे पास पक्के सबूत है कि कालोनी में भगवा हिन्दू मच्छरों का आतंक है और इन सबको कालोनी का अध्यक्ष सोहन भागमत ट्रेनिंग दे रहा है । पिछले महिने मौलवी साहब और जुम्मन चाचा की मलेरिया से हुई मौत दरअसल मौत नहीं, हत्या थी और जाँच में ये पुख्ता सबूत मिलें है कि ये भगवा मच्छरों का सुनियोजित षड़यंत्र था ।
प्रभावी प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें-
धन्यवाद रविकर जी :)
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंसरल से सरलतम की ओर ...अति सुन्दर ढंग से सामायिक विचारों का प्रस्तुति करण..
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