बुधवार, 28 सितंबर 2011

इंडियन पाईरेट्स लीग और टीम इडली दोसा डेयर डेविल्स

IPL (इंडियन पाईरेट्स लीग) में टीम  आईथ्रीडीएट ID3  इडली दोसा डेयर डेविल्स के शुरूआती चार विकेट पतझड़ की तरह गिर गये ! राजाबाबू और कानीमाई तो सुप्रीम कोर्ट की पहले ही ओव्हर की यार्कर गेंदों पर क्लीन बोल्ड हो गये ! फिर कालीबाड़ी रैनाहेंडल दी बाल के लिए आऊट घोषित कर दिये और निधिपति द्रविड़ के रिटायर्डहर्ट होने के बाद टीम काफी दबाव में थी !

इसी बीच जनजूतार्दन टीम ने मौका देखकर मराठा स्टेट टीम के लेग स्पिनर अनशन वार्न को पार्टटाईम बालर के रूप में लगाया गया और चार ओव्हर मेडन डालकर उसने डेयरडेव्हिल्स टीम का रन रेट ही बिगाड़ दिया !

टीम इस सदमे से किसी तरह उबरती इसी बीच भरी दोपहरी में जनजूतार्दन टीम के मेनबालर पतंजली देव ने स्वयं ही गेंद अपने हाथ में लेकर अनुलोम विलोम स्विंग आक्रमण का हुँकार भरा ! पहले ही अपना रनरेट खो चुकी डेयरडेव्हिल टीम अब कोई रिस्क लेने की स्थिति मे नहीं थी ! अत: डूबती पारी को सम्हालने के लिए टीम के कुप्तान चुप्पी सिंह मौनी ने अपने रामभरोसे मंद बुल्लेबाज चिब्बू लिंगप्पा एवं पिंचू गांगुलीको दो रनर के साथ क्रीज सम्भालने भेजा !

शुरूआत में दोनो ने सम्भल कर खेला लेकिन रनरेट गिरता देख टीम की विदेशी कोच सोनी चैपल ने विडियो कांफ्रेसिंग के जरिये टीम मीटिंग में फैसला दिया कि एक छोर से आक्रमण किया जाय ! ऐसे में पिंचू गांगुली नें नान स्ट्राईक में रहकर अपना विकेट बचाना बेहतर समझा और चिब्बू लिंगप्पा को ये जिम्मेदारी सौंपी ! बस फिर क्या था चिब्बू लिंगप्पा ने पतंजली देव की मिडिल ओव्हर में ऐसी धुनाई की कि उनका पूरा स्पेल ही बिगड़ गया और वो वर्ल्ड कप में मनोज प्रभाकर की तरह स्पिन गेंदबाजी करने का मूड बनाने लगे !

इसी बीच जनजूतार्दन टीम के पार्टटाईम बालर अनशन वार्न चार ओव्हर मेडन डालकर खुद को मेन बालर के रूप में स्थापित करने के चक्कर में बैटिंग पावरप्ले के तुरंत बाद सोलहवें ओव्हर से गेंदबाजी करने की घोषणा कर दी ! अब डेयरडेविल्स टीम सदमें में आ गयी और टीम की विदेशी कोच सोनी चैपल को अचानक ब्लैकटेनिस एल्बो की चोट उभर आती है और वो डाक्टर आसांजे से सर्जरी करवाने अमेरिका के न्यूयार्क शहर स्थित व्हिस्की लीकेज हास्पिटल चली जाती है ! लेकिन जाते जाते मैच जीतने का जिम्मा एक सायकोलाजिस्ट डॉ अमूल और तीन फिजियो के जिम्मे छोड़ जाती है !

अनशन वार्न की पहली गेंद पर चिब्बू लिंगप्पा ने आक्रामक अंदाज में आगे बढ़ते हुए गेंद स्टेडियम के बाहर भेजनी चाही लेकिन इस बार गेंद ज्यादा स्पिन हो गई जिससे वे चूक गये और स्टम्प आऊट होते होते बचे ! किसी तरह अम्पायर के साथ सेटिंग कर इसे वाईड बाल घोषित किया गया !

दो तीन गेंद के बाद अनशन वार्न की गेंद खतरनाक ढंग से टर्न लेना चालू किया तो दर्शकों का हूजूम भी स्टेडियम की तरफ दौड़ा और खचाखच भर गया ! मीडिया कामेंट्रेटर भी मौके की नजाकत देख अनशन वार्न को ब्रेडमेन के बाद सबसे महान खिलाड़ी बता अपनी TRP बढ़ाने लगे !

डेयरडेविल्स की टीम इस खतरनाक स्पिन को झेल नहीं पायी और उसने बालिंग एक्शन पर आपत्ति कर दी ! नियम बनाने वाली संस्था ICC इंडियन कांस्टीट्यूशन क्लब ने इस पर अपनी राय देने के लिए समय माँगा ! इसी बीच भैय्यूजी शास्त्री जिनका दोनो टीमों के खिलाड़ियों से पुराना सम्बंध है, को मध्यस्थ बनाकर अंदरूनी समझौता किया गया और खराब रोशनी की अपील कर मैच रूकवा दिया गया !

दर्शकों को एक्सपर्ट कमेंट्री टीम ने बताया कि डकवर्थ लुईस नियम से मैच ड्रा घोषित कर अनशन वार्न को मैन ऑफ द मैच दिया जाता है! यह मैच भले ही ड्रा हो गया किंतु  अनशन वार्न को दूसरा ब्रेडमेन घोषित कर दिया गया ! अब सारे खेलप्रेमी एक ही गाना गाते  हैं मैं भी अनशन, तू भी अनशन , अब तो सारा देश है अनशन “ !

चूँकि ये इंटरटेन्मेन्ट चैम्पियंस लीग है अत: मैच फिर चालू हुआ ! अब चिब्बू लिंगप्पा अपने ही साथी बल्लेबाज पिंचू गांगुलीके काल पर रन लेने दौड़े लेकिन रन आउट हो गये ! चिब्बू लिंगप्पा ने स्वयं को आऊट घोषित करने की क्षद्म पेशकश की लेकिन टीम की विदेशी कोच सोनी चैपल ने कुप्तान चुप्पी सिंह मौनी को रेफरल सिस्टम के अपील का उपयोग करने का निर्देश दिया! इसी निर्देश का पालन कर डिसीजन थर्ड वेम्पायर के पास भेजा गया है लेकिन कुप्तान चुप्पी सिंह मौनीको मालूम है कि चिब्बू लिंगप्पा क्लीयर आऊट हैं इसलिए शायद बार बार नोबाल नोबाल चिल्ला रहे हैं !

अब सारी कवायद इसी बात पर चल रही है कि किसी तरह DRS का लाभ उठाकर किसी एंगल से कोई रास्ता मिल जाये तो बेनिफिट ऑफ डाऊट बेट्समेन के फेवर में दिया सके क्योंकि ये तय है कि चिब्बू लिंगप्पा के आऊट होते ही कुप्तान चुप्पी सिंह मौनी को क्रीज पर बैटिंग करने आना पड़ेगा और फिर बात आगे निकल कर पुछल्ले बल्लेबाज राबर्ट नेहरा को भी बैटिंग़ करनी पड़ सकती है ! जिसे विदेशीकोच सोनी चैपलने विशेष प्रतिभावान खिलाड़ी बताकर टीम में जगह दिलाई है !  

मैच अभी रूका हुआ है जैसे ही बालिंग बैटिंग चालू होगी आपको आँखों देखा हाल बताने के लिए पुन: हाजिर रहुँगा !

पीते रहें तब तक और देखते रहें एक टक ! चीयर्स जय हो...

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

मेरा जीवन दर्शन

जीवन के बहुमूल्य 20 वर्ष पोथी पढ़ने में व्यतीत किया ! (A+B)2  की सार्थकता उदरपूर्ति के अलावा नजर नहीं आयी किंतु न्यूटन का तीसरा नियम इन परेशानियों में समान वेग से विपरीत प्रतिक्रिया करने लगा फलस्वरूप फिर जोखिम उठा बुध्दजीवियों एवं दार्शनिकों को 10 वर्षों तक अध्ययन करने का प्रयास किया किंतु किसी ने भी महल और झोपड़ी के असमानता के कारण से मुझे संतुष्ट न कर सका ! सोचा चलो स्वयं ही अपने जीवन दर्शन की खोज में निकल पड़ता हूँ शायद मंजिल मिल जाये और जीवन सार्थक हो जाये !

इसी उधेड़बुन में अकेला ही बिना किसी पूर्वाग्रह और प्राप्ति की आकांक्षा से निकल पड़ा ! रास्ते पर कई मुसाफिर मिले उनमें कुछ फकीर से जीवन की मूलभूत समस्याओं का बोझ लेकर किंतु असीम आत्मिक सुख से परिपूर्ण
,चेहरे पर बेफिक्री का आलम और अलौकिक तेज से परिपूर्ण, जीवन को उत्सव की तरह मनाते हुए भविष्य की परवाह न करते हुए वर्तमान में जीते लोग जिन्हे यांत्रिक दुनिया दलित और पिछड़ा मानते हुए आदिवासी की संज्ञा देती है !

कितनी सटीक संज्ञा है “ आदिवासी “ ! आदिकाल से यही लोग हैं जो जीवन जीने की वास्तविक कला जानते हैं ! किंतु यांत्रिक दुनिया के रहनुमा इन्हे अपने निजी यंत्रों को सुचारू रूप से चलायमान स्थिति में रखने के लिए अब संसाधन की तरह उपयोग करने लगे हैं और उनका वो जीवन उत्सव अब मातम में परिवर्तित हो चुका है !

इन्ही उलझनों के साथ उफाफोह की स्थिति में किसी तरह यात्रा की निरंतरता बना चलता रहा !अचानक
जीवन पथ पर अनचाहे रूप से एक ज्ञानी दीमक से सामना हुआ ! इठलाकर कहने लगा तुम्हारी चाल शास्त्र सम्मत नहीं हैं ! विद्वानो ने तुम्हारे चाल चलने के तरीके को गलत बताया है ! सही तरीका ये है जो मैं चल रहा हूँ ! मैंने उससे पूछा महोदय आप जो कह रहे हैं मैं उसका विरोध नहीं कह रहा हूँ पर आप सही कह रहे हैं इसका आप कैसे दावा कर सकते हैं ! उसने बड़े दम्भपूर्वक कहा थोड़ा परिश्रम करो और फलाँ-फलाँ पोथी पढ़ो !

एक क्षण रूका और सोचा तो ध्यान आया कि ये सारी पोथी
,ये ग्रंथ तो मैंने स्वयं से खिन्न होकर एक आलमारी में बंद कर कई वर्षो से रख छोड़ी हैं ! मन में निश्चय किया कि क्यों न एक बार पुन: देखा जाय दीमक महोदय ने जब इतने आत्मविश्वास से कहा है तो कहीं मुझसे ही कोई गलती नहीं हुई? बरसों बाद उस आलमारी को खोला तो देखा सारी पोथियों को दीमक चाट चुके हैं ! एक वरिष्ठ प्रशासनिक दीमक ने कहा हमारा स्वयंसेवी मानवाधिकारी मार्गदर्शक दीमक आपकी सारी पोथी चाट गया है और कह गया है कि हमारे चाटने के लिए भी कुछ पोथी की व्यवस्था करेगा !

मैंने उनसे कहा आप मेरे अतिथि हैं आपको भूखा रखना मेरे लिए पाप होगा अत: मेरे इस पोथी ज्ञान अर्जन के प्रमाण पत्र जो कुछ ईंटगारों से बने प्रतिष्ठानों द्वारा प्रदान किये गये हैं तथा जिन्हे मैं अपने जीवन के स्वर्णिम दिनों में अर्जित किया था और इन्हे अमूल्य निधि समझ कर सहेज कर रखा था
,यही शेष है जो अब मेरे किसी उपयोग का नहीं है ! इसे ही भक्षण कर अपनी पिपासा शांत करें !

अतिथियों से विदा लेकर वापस उसी ज्ञानी दीमक के पास लौटा और बड़े विनय पूर्वक कहा महोदय आपने मेरी पूरी पोथी तो चाट ली है एक उपकार और कर दें
, इस मूढ़मति में जो कुछ पोथी ज्ञान बचा हुआ है उसे भी चाट कर खाली कर दे ताकि मैं स्वयं की खोज में बिना किसी पोथी ज्ञान के निकल सकूँ तथा फिर से कोई और ज्ञानी दीमक मुझे भटका ना सके !

बस अब चल पड़ा हूँ सारी पोथी तजकर और अपनी मूढ़मति से सारा पोथी ज्ञान हटाकर कबीर और रैदास के पद चिन्हों पर ! आमंत्रित करता हूँ सभी पथिको को जो मेरी तरह इन सभी को त्यागकर निकल पड़े हैं वास्तविक आनंद की तलाश में बिना किसी महत्वाकांक्षा के ! आईये साथ चले उस मार्ग पर जहाँ जीवन का हर पल अभावों के बावजूद भी उत्सव हैं !! जय हो !! ...

रविवार, 18 सितंबर 2011

मोदी और मीडिया पर अनशन

मोदी के उपवास पर इतनी हाय तौबा क्यूँ ! क्या मोदी ने मीडिया को आमत्रंण भेजा था ! उपवास कर रहा है करने दो ! देश में वैसे भी रोज लाखों लोग भूखे रहते हैं किसे फर्क पड़ता है ! जो लोग इसके पक्ष में हैं वो इसमें अपनी जमीन तलाश रहे हैं और जो विरोध कर रहे हैं उन्हे अपनी जमीन खिसकती दिखाई दे रही है ! आम आदमी को इससे क्या मतलब ! कुछ सरकारी सेक्यूलर लोग टीवी पर लगातार एक ही बात की रट लगा रहे हैं मोदी मे माथे क...ा कलंक नही मिट सकता और जनता उसे कभी माफ नही करेगी ! अरे नही मिट सकता तो न मिटे अपनी बला से और रही बात जनता की तो अगले वर्ष 2012 के विधान सभा नतीजे बतायेंगे कि जनता ने उन्हे माफ किया या नहीं ! बस मेहरबानी कर मोदी को उसके हाल पर छोड़े और अपनी उर्जा महँगाई और आतंकवादी घटनाओं को रोकने में लगायें तो शायद आपके माथे का कलंक मिटे और देश की जनता आपको 2014 में माफ कर दे ! रही बात मीडिया की वो तो अब भाँड हो चुकी है वहीं नाचेगी जहाँ उसे TRP रूपी बख्शीस मिलेगी ! जय हो ...

सोमवार, 12 सितंबर 2011

गाँधी , गाँधीवाद , अहिंसा और अन्ना


कुछ दिनों पहले अन्ना द्वारा कसाब को सरेआम फाँसी दिये जाने के बयान पर गाँधीवादियों ने काफी कोहराम मचाया , अन्ना स्वयं को गाँधीवादी मानते हैं और गाँधीवाद के विरूध्द आचरण करते हैं !

दरअसल गाँधीवाद क्या है ? यह एक क्षद्म आवरण है आज के रहनुमाओं का ! मैंने कभी नहीं सुना गाँधी ने भी कभी गाँधीवाद का पालन किया हो ! अगर ऐसा था तो उन्होने उमर अब्दुल्ला के अफजल गुरू मामले की तरह भगत सिंह की फाँसी का विरोध क्यों नही किया ? गाँधी ने जिस राम को अपना जीवन आदर्श माना उन्ही राजाराम ने रावण, बाली सहित कई वध किये !

रही बात अहिंक होने की तो अहिंसा का अर्थ काफी व्यापक होता है जो कम से कम गाँधी के अहिंसा की परिभाषा से पूर्ण नहीं होता ! अन्ना के आंदोलन एवं आमरण अनशन को अहिंसक आंदोलन कहा जा रहा है लेकिन कितनों के ये पता है कि इस अनशन में अरूण नाम के एक अनशनकर्ता की मृत्यु हो गई तो फिर ये अनशन अहिंसक कैसे हो गया !

बुध्दजीवियों से अपेक्षा है कि जरा सोचें मनुष्य अगर अपनी हत्या स्वयं करने को तत्पर हो तो उससे बड़ा हिंसक और कौन हो सकता है ! आमरण अनशन का क्या अर्थ है , किसी बात पर कोई ये कहे कि अगर उसकी बात नहीं मानी जाती तो वह आमरण अनशन करेगा मतलब आप उसकी बात नहीं मानों तो वो खुद को भूखा रखकर अपनी हत्या स्वयं कर देगा !

अत: मेरे विचार से आमरण अनशन को कभी भी अहिंसक आंदोलन नहीं कहा जा सकता ! लेकिन अहिंसा का अर्थ ये नहीं की आप पर कोई हमला करे तो आप ये कहें आप मुझे मार सकते हैं किंतु मैं अहिंसा का पुजारी हूँ आपको मैं बिरियानी खिलाने के अलावा कोई कार्य नहीं कर सकता ! मजे की बात तो ये है कि जिसे गाँधी टोपी कहकर लोग पहनकर अपने आप को गाँधीवादी कहते हैं उस टोपी को गाँधी ने कभी पहना ही नहीं !

किस गाँधीवाद की बात कहते हैं जिन दलित अछूतों को उन्होने ईश्वर का अंश मानकर “हरिजन” नाम दिया वही शब्द आज उत्पीड़न कहलाता है ! किसी आतंकवादी की फाँसी की सजा को माफ कर हम क्या साबित करना चाहतें हैं ! इससे दो ही स्थिति बनेगी या तो उस व्यक्ति को ताउम्र कैद में रखकर उसे पल पल मौत का एहसास कराया जाय या फिर से कंधार विमान अपहरण जैसे किसी घटना के लिए राह से भटके हुए भाईयों को उत्प्रेरित किया जाय !

दोनों ही स्थिति में जो घटनायें होगीं क्या उसे अहिंसक कहा जा सकता है ! यदि इंडियन मुजाहद्दिन के ईमेल पर यकीन करें तो उन्होने अफजल गुरू के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में धमाके किये हैं ! ऐसी स्थिति में अफजल के लिए सजा-ए-मौत की माफी का आंदोलन अहिंसक है ??????

दरअसल हमारी समस्या ये है कि हम उस व्यक्ति की बातों पर अंधश्रध्दा रखते हैं जो तथाकथित रूप से सफल है चाहे वो गलत ही क्यों न हो और यदि कोई उसकी गलत बातों पर आक्षेप करता है तो हम कहते हैं कुछ भी कहने के पहले उस महान व्यक्ति के बराबर कोई कार्य करो जैसा मेरे एक विद्वान मित्र अक्सर कहते रहते हैं !

अन्ना का कसाब पर दिया गया बयान उनके क्षद्म गाँधीवादी आवरण को फाड़कर एक आम हिंदुस्तानी के मन की पीड़ा है जो कमोवेश अंजाने में ही सही लेकिन बाहर आ गई ! उनके पहले के भी बयानों को ध्यान दें जिन्हे तथाकथित बुध्दजीवियों द्वारा अनर्गल कहा जाता है , मुझे व्यक्तिगत रूप से ऐसा लगता है कि अन्ना के ह्रदय में एक आम भारतीय आदमी का दिल है जो ज्यादा देर तक किसी क्षद्म आवरण में रह नहीं पाता और रह रह कर उनके बयानों के रूप में गाँधीवादी आवरण से अपनी गर्दन बाहर निकालता रहता है !