शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

दीवाली का दीवाला

कल दीपावली की रात थी । इस उम्मीद में पूरे घर मे रोशनी कर मेन गेट तक खुला इसलिए रख छोड़ा था कि लक्ष्मी जी डाईरेक्ट घर के अन्दर घुस जायें । आजकल पूरे देश में मोदी जी की लहर चल रही है, उनके धोखे में ही लक्ष्मी जी आ जायें इसलिए उनके स्टाईल का ही हैण्डलूम वाला ड्रेसकोड भी अपना लिया और इंतजार में बाहर स्टूल में बैठा हुआ था ।

 अब लक्ष्मी जी आतीं उससे पहले कालोनी के सारे बच्चे आ धमके । समवेत स्वर में बोले – अंकल जी, राकेट जलानी है , हमारी मदद करो ।

मैनें कहा – बेटा, राकेट चलाने की उम्र तुम लोगों की है । हमारी उम्र के लोगों को तो “अनार” और “फुलझड़ियों” का ही शौक होता है । हाँ कभी-कभी मौका मिले तो “आयटम बम” की इच्छा हो जाती है ।
आजकल के बच्चे बड़े इंटिलिजेंट होते हैं । तत्काल हमारी मनोभावना को समझ गये । बोले – अंकल जी , मन में ज्यादा लड्डू मत फोड़िये, डायबिटीज का खतरा होता है । आपको चलाने के लिए नहीं, व्यवस्था बनाने में मदद चाहते हैं ।

निकट भविष्य में होने वाली बेईज्जती को भाँपते हुए मैने विषय बदला और कहा – बोलो बेटा , कैसी मदद चाहते हो ?

उन्होने अपने मतलब की बात सीधे कही – अंकल जी, दस बारह खाली बोतल दे दीजीए ।

मैने कहा – अबे, मैं क्या कबाड़ी हूँ जो मेरे पास खाली बोतल मिलेगा ?

उनमें से एक वरिष्ठ बच्चा बोला – अंकल जी, मेरी बुआ फेसबुक पर आपको कंटिन्यू फालो करती है । उसने सारी अंटियों को बताया कि कही मिले ना मिले आपके यहाँ खाली बोतल जरूर मिल जायेगी । और हमें बेवकूफ मत बनाईये, आपका चेला भोला शकर ने यहीं की खाली बोतल बेचकर नई बाईक खरीदी है ।

इसी गहमागहमी के बीच बच्चो की टीम को पीछे से निर्देशित कर रहा भोला शंकर सामने आया और बोला – महाराज, ऐसा हो नही सकता कि आपके पास बोतल ना हो । आप तो बड़े परम्परावादी धार्मिक बने फिरते है, बच्चो की खुशी के लिए एक खाली बोतल नही दे सकते ।

मैने उनसे कहा – अबे भोला, बोतल तो है पर एक भी खाली नहीं है ।

भोला शंकर बच्चों की ओर मुखातिब होकर बोला - चलों बच्चो , गार्डन मे जाकर इकठ्ठे हो जाओ, मैं अभी खाली बोतल लेकर आ रहा हूँ । फिर चैरिटी के मूड में आते हुए मुझसे बोला –महाराज, तो खाली कर दे दीजीए ।

मैने कहा – अबे आज अपना मूड नहीं है । जा छत पर आलमारी में एक आधी बोतल है , उसे ही कहीं नाली में खाली कर बच्चों को दे दे ।

भोला तत्काल घर के अन्दर गया और अपने गुरूमाता के चरण स्पर्श कर हैप्पी दीपावली बोला । हमारी प्राईवेट लक्ष्मी ने उसे आशीर्वचन देते हुए बोली – भोला, दीपावली की मिठाई खाकर ही जाना ।

भोला बड़ा चालाक निकला, बोला – गुरू माते, आज बहुत मीठा खा लिया है, कुछ नमकीन और ठंडा पानी ही देना । अपना जुगाड होते ही वो गुरूमाता की नजर बचाते हुए नमकीन और पानी लेकर वह हमारे छत की ओर चुपके से निकल गया ।

आधे घण्टे बाद भोला गार्डन एरिया में बच्चों के साथ पूरे मस्ती में लहराते हुए राकेट उड़ाने का लुत्फ उठा रहा है ।

इसी बीच एक शुभचिंतक ने व्हाट्स अप पर मेसेज भेजा “तीन लोग आपका नंबर मांग रहे है
, मैंने नहीं दिया | पर आपके घर का पता दे दिया है | वो "दिवाली" के दिन आयेंगे | उनके नाम है - सुख , शांति  और  समृद्धि”

खैर सुख और समृद्धि तो शायद कालोनी के बड़े वाले बँगले पर रूक गई । केवल शांति ही हमारे आँगन तक पहुँच पाई इससे पहले वो कुछ कहती, लक्ष्मी पूजा खत्म कर गृहलक्ष्मी ने आदेशनुमा निवेदन किया – सुनो जी, सारे लोग अपनी अपनी पत्नी के साथ फोटू खींचकर फेसबुक पर चिपका रहें हैं, आप भी चिपकाईये ना ।

मैने कहा – चिपकाने को तो मैं भी चिपका दूँ , पर थूक किस तरफ लगाऊँ समझ नहीं आ रहा।

मेरा इतना ही कहना था कि उसके अन्दर किसी पाकिस्तानी रेंजर की आत्मा समा गई और निजी आयुध अस्त्रों से मेरी हालत भारतीय चौकी की तरह बनाने में जुट गई । सीमा पर तनाव देखकर आँगन में खड़ी शांति पलटकर जाती हुई बोली – जब तक मेरी सौतन इस घर में है मैं यहाँ नहीं रह सकती । हम दोनों का एक साथ गुजारा सम्भव नहीं ।

ये तो गनीमत था कि पड़ोसियों को मुझ पर हो रहे हमले की भनक नहीं पडी क्योंकि दीपावली के पटाखों के साथ आयुध अश्त्रों ने जुगलबंदी कर ली थी । बीच बीच में मेरे चीखने और कराहने की आवाज को उन्होने ये सोचकर ध्यान नहीं दिया कि महाराज खाँटी ब्राह्मण हैं, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शायद कोई विशेष तंत्र पूजा का मंत्रोच्चारण कर रहें हों ।

खैर, देर रात हम दोनों के बीच एक शिमला समझौता हुआ कि सुबह उठते ही दोनो की साझा तस्वीर फेसबुक पर बिना थूक लगाये चिपकाऊँगा ।

आज कामवाली बाई का राजकीय अवकाश है, सुबह उठते ही मैने घर का झाड़ू पोछा एवं बर्तन वगैरह साफ कर दिया है । गृहलक्ष्मी जी कालोनी की महिलाओं के साथ मिष्ठान आदान प्रदान कर दीवाली मिलन में व्यस्त है इसलिए स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण मे है ।


समझौते का पालन करते हुए तस्वीर भी चिपकाई जा रही है , इसमें प्रदर्शित भावभंगिमाओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है ।

 

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

भोला शंकर की कुटाई

भोला शकर ने आज कराहते हुए आवाज दी - नमोस्कार महाराज ।

हमने उसे बिना देखे अन्दर से ही चमकाया -  क्यूँ बे प्रेम शुक्ला के चारित्रिक सहोदर, कल रात कहाँ पिट रहा था, जो आया  नहीं । तू आया नही तो आईडिया भी नहीं आया , लोगबाग कितना परेशान हुए मालूम है ?

भोला श्रद्धा से परिपूर्ण स्वर में बोला - महाराज, आप वाकई मे धन्य है। मै दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप महाभारत वाले ही संजय हो ।

हम टावेल से मुँह पोछते हुए बाहर निकले और अब भी उसे बिना देखे ही कहा -  कैसे बे ?

भोला बोला – महाराज, आज फिर आपने बिना देखे ही जान लिया की हम कल रात पीटे हैं । 
बिना  देखे ही कईसे जान लेते हैं आप ये सब ? माने के पूछ रहें हैं । 

हमने मुँह से टावेल हटाया तो देखा भोला के शरीर पर कपड़े से ज्यादा अस्पताल की पट्टियाँ बँधी हुई हैं । चौकते हुए बोले – अबे, ये क्या? क्यूँ इतनी पीता है कि नाली में गिर पड़े । और सुन अब नाली में गिरने को मोदी जी के सफाई अभियान से मत जोड़ना समझा ।

भोला बोला – अब हमें इतना भी गिरा हुआ मत समझे महाराज । हम गिरे हुए नही है, पिटे हुए हैं । सही बात कहें तो जबरिया पिटवाये गये हैं ।

हमने कहा – ओ तेरी, अबे किस कमीने बेशर्म ने तुझे पीटा । एक दबे कुचले
7up कोलड्रिंक के ब्राण्ड एम्बेसेडर को पीटने मे उसे जरा भी लज्जा नहीं आई । कायदे से तो तुझ जैसे को पीटने पर पीटा संगठन को उग्र आन्दोलन करना चाहिए । 

भोला की आँखो में चमक आ गई, पूछा – ये पीटा वाले कौन हैं महाराज, मैं आज ही उनको जाकर सारी घटना बताता हूँ ।

हमने कहा – अबे
PETA मतलब People for the Ethical Treatment of Animals.



भोला का दर्द फिर से जाग उठा और बोला – महाराज आप भी ना आताताई हो , कहीं भी उँगली कर देते हो ।

हमने उसके मानसिक जख्मो पर मरहम लगाने के उद्देश्य से पुचकार कर पूछा – अरे नही रे भोला, ऐसी बात नही है। अच्छा बता, किन चर्मकारों ने तेरा ये हुलिया बनाया? आखिर तुझसे इतनी नफरत क्यूँ ?

 भोला बोला – नफरत नही महाराज, प्यार के भुक्खड़ लोगों ने मेरी ये गत बना दी । ये सब साले “जवाहर भगिनी सुरक्षा योजना” की पैदाईश है ।

हमने कहा – अबे ये “जवाहर भगिनी सुरक्षा योजना” क्या है ?

भोला बोला – महाराज, ये ऐसे लौंडो की फौज है जिन्हे हर लड़की मे महबूबा दिखती है और हर लडकी को इनमें फ्री ऑफ कॉस्ट भाई ।

हमने कहा – अब ये फ्री ऑफ कॉस्ट भाई क्या होता है ?

भोला बोला – महाराज, ऐसा भाई जिसको पैदा करने मे माँ को तकलीफ और परवरिश करने मे बाप को एक दमड़ी भी खर्चा नहीं करना पड़ता।
माने के “मान न मान, मै तेरा सलमान"

हमने कहा – अच्छा ये बता, ये पवित्र घटना हुई कैसे ?

भोला बोला – महाराज , कल शाम मै आपके ही घर की ओर आ रहा था, तब सामने से मेरे ही साईड पर एक नव युवती मुँह मे कफन लपेटे अपनी स्कूटी को ऑटो पायलेट मोड में डाले मोबाईल से बात करती हुई चली आ रही थी ।

हमने कहा -  अबे जब मुँह मे कफन बाँधी थी तो तुझे पता कैसे चला कि वो नवयुवती है ?

भोला बोला – मैने उसे प्रथम दृष्टया उसे संदेह का लाभ दिया महाराज ।

हमने कहा – अच्छा ठीक, फेर क्या हुआ ?

भोला बोला – अपनी ओर आता देख मैने प्रेशर हार्न दबा दिया ।

हमने कहा – किसका ?

भोला बोला –  अपनी बाईक का और किसका ?

हमने कहा –  फेर ?

भोला बोला –  फिर क्या था, नवयुवती और उसकी स्कूटी ने आपस में स्थान बदल लिया ।

हमने कहा – मतलब ? 

भोला बोला – मतलब युवती ने सड़क पकड़ ली और स्कूटी उस पर सवार हो गई ।

भोला घटना को विस्तार से बताने लगा – महाराज मैं जोर से चिल्लाया , देखकर नहीं चल सकती क्या? बच गई वरना प्रेग्नेंट हो जाती ।

बस मेरा इतना ही कहना था कि उसने जोर से चिल्लाया – बद्तमीज । 


उसका इस करूण आह्वाहन सुनकर “जवाहर भगिनी योजना” के स्वयंसेवी कार्यकर्ताओ की फौज इकठ्ठी हो गई । उसने अपनी सेंडिल मेरी ओर ऐसे उछाला जैसे कह रही हो “यलगार हो” । आदेश पाते ही JBY कार्यकर्ताओं ने हमारी ऐसी दुर्गति बनाई जैसे मोदी ने विपक्षियों की । हमने उनसे कहा भी – अबे हम “भोला” हैं लेकिन साले ऐसी तन्मयता से पीटते रहे जैसे मोदी की नकल कर  “भोला मुक्त भारत” बनाना चाहते हों । मैने उनसे कहा भी – भाई लोगों, मेरी मंशा बिलकुल साफ है, मैं इन्हे प्रेग्नेंट नही करना चाहता हूँ ।

हमने कहा – अच्छा, तू हेलमेट नही पहना था क्या ?

भोला बोला – महाराज आप भी ना अच्छा मजाक कर लेते हो । हम ठहरे ब्रह्मचारी आदमी , हमे हेलमेट पहनने की क्या जरूरत ?

हमने कहा – अबे अक्ल के अंधे, हम बाईक चलाते समय पहनने वाले हेलमेट की बात कह रहें है ।

भोला बोला – अच्छा वो, महाराज हम यातायात नियमो का सदैव पालन करते हैं, माने के उस समय हम बाकायदा हेलमेट पहने हुए थे ।

हमने पूछा- तो फिर सिर पर चोट कैसे आई? माने के क्या तेरा हेलमेट ISI मार्का वाला नहीं था?

भोला बोला – महाराज, सिर पर चोट पिटाई की दूसरी किस्त मे आई ।

हमने कहा – कैसे ?

भोला ने बताया –
JBY वाले वनबन्धु हमारी कुटाई से थक जाने के बाद प्रमाणपत्र लेने के उद्देश्य से उस युवती के पास ले गये और बोले कान पकड कर बोल के आईन्दा ऐसी गलती नही करेगा । मैं अपना कान पकडने के लिए जैसे ही हेलमेट निकाला उसी समय युवती ने भी अपना मुँह मे बाँधा कफन खोल दिया। जैसे ही मैने उसका चेहरा देखा आत्मग्लानी से भर गया । वो तो 45-50 साल पुरानी विंटेज मॉडल निकली जिसने शायद करवाचौथ पर अपना डेंटिंग पेंटिंग करवाया था । मैं ठगा हुआ महसूस करता हुआ बोला – माताजी मुझसे गलती हो गई आईन्दा ऐसी गलती नही करूँगा । लेकिन ऐसा कहते हुए अपनी खीज भी नहीं दबा सका और मुँह से अनायास निकल गया  वैसे भी आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकती, उस उम्र को आप सदियो पहले
पार कर चुकी हैं ।

 बस इतना सुनना था कि उसका हील वाला सैडल और मेरा नंगा सिर दोनो प्यार में ऐसे खो गये जैसे टी-
20 वर्ल्‍ड कप में युवराज का बल्ला और स्‍टुअर्ट ब्रॉड की गेन्द ।

हमने कहा – वो सब तो ठीक ही किये पर तूने उसे प्रेग्नेंट वाली बात क्यूँ कही ?

भोला बोला – वाह महाराज , आप भी ना एकदम अंजान मत बनो । कई शिक्षाप्रद बालीवुड फिल्मो मे दिखाया गया है कि हिरोईन जब हीरो की गाड़ी से टकरा जाती है फेर उनकी नजरें मिलती है । उनके इस मेल मुलाकात से बागीचा के फूल आपस मे टकराते है । और चार छ महीना बाद हीरोईन कहती है – सुरेश, मै तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ ।

महाराज, मै ठहरा बाल ब्रह्मचारी, अपना ब्रह्मचर्य खतरे मे देख गुस्से मे आ गया और बोल दिया ।

बताईये कुछ गलत कहा क्या मैनें ????  

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

मोफलर चाचा की हुदहुद

आधी रात से हुदहुद ने मौसम सुहाना बना दिया है । माने के लल्लन टोप मौसम है ऐसे में भोला शंक़र हमे ज्ञान दे रहा था - महाराज , आपको मालूम है , ये जो तूफान वगैरह आते हैं , जैसा कि आपके बस्तर के तरफ अभी आया हुआ है , उसका नामकरण प्रत्येक देश को बारी बारी से करने का मौका मिलता है । माने के जैसे पिछले बार पाकिस्तान ने नीलोफर  रखा था और इस बार ओमान ने हुद हुद रखा है । 

हमने कहा - अबे पप्पू के मानस भ्राता , हमको पता है , अब तू हमको इण्डिया टीवी देखकर ज्ञान मत बघारा कर ।

भोला ताव में आ गया और हमारी जबरन नालेज टेस्ट करने की नीयत से सवाल दागा -  अच्छा तो फेर ये बताओ ऐसा क्यूँ किया जाता है और तबाही मचाने वाले तूफान का नाम इतना मासूम क्यूँ होता है ?

हमने कहा - अरे बिलावल के फूफा , ऐसा इसलिए किया जाता है क्योकि आम लोगों को तूफान के बारे में लिखित या ब्रॉडकास्टिंग के जरिए जानकारी दिया जा सके और उनके बीच आसानी से इसका प्रचार हो और वे इससे बचाव हेतु सचेत हो सकें , इसलिए जरूरी है तूफान का नाम होना । 1950 तक तूफानों को उनके सन् के हिसाब से जाना जाता था, जैसे 1946 , 1946 बी। लेकिन 1950 के बाद तूफानों के खतरनाक व्यवहार को देखकर महिला नाम रखा जाने लगा । फिर शायद महिला मुक्ति मोर्चा और महिला अधिकारो के लिए लड़ने वाले तलाकशुदा मानवाधिकारियों के दबाव में 1979 से तूफानों का नाम पुरुषों के नाम पर भी रखा जाने लगा। पर अब भी जनमानस में जागरूकता लाने हेतु ज्यादा खतरनाक तूफान का नाम महिलाओं के नाम पर ही रखने का रिवाज है ।

भोला आश्चर्यचकित होकर बोला - सही में ऐसा है क्या महाराज ?

हमने कहा – और नहीं तो क्या । हमने तो जबरिया एक तूफान का नाम तेरे सम्मान में भी रखवाया था।

भोला शर्माते हुए बोला - आप भी ना महाराज , कभी कभी एकदम मोदीजी टाईप हो जाते हो ।

हमने कहा  - अबे नहीं बे, रिकार्ड उठाकर देख ,
भोला नाम का समुद्री तूफान बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल से 12 नवंबर 1970 को टकराया था। तूफान के साथ आई तबाही और उसके बाद बीमारी फैलने से 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी।

भोला बोला – वाह महाराज, तब तो आप और मैं दूनो पैदा नहीं हुए थे ।

हमने कहा – अबे घोंचूँ, शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है । और हम संजय हैं , द्वापर युग में प्राईवेट चैनल नही होता था और उस समय के एकमात्र सरकारी मीडिया “प्रसार भारती” पूरा अधिकार हमारे ही कब्जे में था । जब कृष्ण कुरूक्षेत्र मे गीता उपदेश दे रहे थे तब हमने राजभवन मे उसका प्राईवेट लाईव टेलीकास्ट करने के एवज मे शर्त रखी थी कि कलयुग में हमारा एक चेला होगा “भोलाशंकर” उसके नाम से भी एक तूफान का नामकरण होना चाहिए ।  बस फिर क्या था , कृष्ण को अपने मीडिया मैनेजमेण्ट की खातिर हमारी बात माननी पड़ी और यमराज को नोटशीट लिखकर भेज दिया “कलयुग में जब भी बंगाल की खाड़ी में तूफान आयेगा भोला के नाम से जाना जायेगा।“
 
भोला हमारे दिव्य ज्ञान और अपने गुरूचयन पर अभिमान करते हुए बोला - महाराज , इसलिए तो आपकी इतनी इज्जत करते हैं , वरना अपन तो अपने बाप की भी ...  

मैने बीच में रोक कर बोला - भोला अब इसमें अन-अथराईज्ड बाप को बीच मे मत ला । ये हम दोनो की मजबूरी है ।

भोला पूछा- वो कैसे महाराज

हमने कहा  - अपन दोनो के पास कोई सेकेण्ड्री ऑप्शन ही नहीं है ।

भोला बोला -  ऑप्शन की माँ की आँख,  हमको ऐसा कोई ऑप्शन की जरूरत भी नहीं है । आपको चाहिए तो ढूँढ लो ।

हम बोले - ढूँढ तो लें, पर तुझसे कम दिमाग वाला कोई मिले तब ना ?

भोला बात को घुमाते हुए बोला - अब छोडिये इन बेमतलब  की बातों को । आप मुझे ये बताईये , ये पाकिस्तान , ओमान , अफगानिस्तान सबको तूफान का नाम रखने का मौका मिलता है । अपने भारत को नहीं मिलता क्या ?

हमने कहा – मिलता है ना ।

भोला बोला - अच्छा तो 2005 में अमेरिका में जो तूफान आया रहा उसका नाम कटॅरीना हम ही लोग रखे थे क्या?

हमने कहा – नई बे , इतना भयंकर नाम अपन क्यूँ रखेंगे । उ त साले अमेरिका वाले चिकनी चमेली के धोखे में आकर रखे और खुदे निपट गये । अपन दिमाग वाले लोग है, सोच समझकर ऐसा नाम रखते हैं कि तूफान पहुँचने से पहले ही फुस्स हो जाय और नुकसान न हो ।

भोला बोला – वो कैसे महाराज ?

हमने कहा – तू भूल गया क्या ?  पिछले साल जंतर मंतर स्टूडियो में पूरा मीडिया में विशेषज्ञ लोग दावा ठोक के कह रहे कि मई 2014 को दिल्ली में भयंकर जन सैलाब आयेगा जो देश को बदलकर देगा, और उसका नाम “जन लोकपाल” रख दिये थे ।

भोला बोला – हाँ महाराज ।

अपन ने समझदारी दिखाई और मोफलर चाचा के कान में मंतर फूँका – चाचा, नोबाल एवार्ड चाहिए तो पापिंग क्रीज के बाहर निकलो और इस तूफान का नाम बदलकर “आपा” रखो । चचा झाँसे में आ गया और आपा का पापा सोडा बॉटल की तरह ढक्कन खुलते ही फुस्स हो गया ।

 भोला बोला – अच्छा, तभी मोफलर चाचा बार बार कहते रहतें हैं “सब मिले हुए हैं जी और यही स्कैम है , हम इसकी जाँच करवायेंगे।“


शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

करवा चौथ और हम

भोला शंकर सुबह सुबह आया । हमे बिस्तर पर पड़ा देखकर बोला – महाराज ये क्या हाल बना रक्खा है ? नाक बन्द, आँख़े लाल लाल, तबीयत की बैण्ड बजा रक्खी है । कुछ लेते क्यूँ नहीं ?


हमने कहा अबे, सारे लोगों ने कहा- लेना छोड़ दो। उनके बहकावे मे हमारी गृहमंत्री आ गई और उसके दबाव में आकर हम दो दिन से कुछ नही ले रहें । तभी तो ये हाल है । अब उसे कौन समझाये कि सारे मर्जों की एक दी दवा है । पुराने जमाने में समझदार बुजुर्ग भी बीमार लोगों का हालचाल पुछते हुए कहते थे – बेटा लापरवाही मत करो, हकीम को दिखाकर जल्दी से कुछ दवा दारू लो ।

अब दो दिन से बिना दारू के खाली दवा ले रहें है , ऐसे में तबीयत क्या घण्ट ठीक होगी ?
 

भोला बोला – वो तो है ही महाराज लेकिन आज करवा चौथ है, कुछ ज्ञान चर्चा नही करेंगे ? लोगों को इसके महात्म्य के बारे में कुछ बताईये ।

हमने कहा – भोला, हालांकि करवा चौथ ऑफिशियली पति की लम्बी उम्र के लिए मनाया जाता है पर वर्तमान में इसका उससे कोई लेना देना नहीं है । करवा चौथ एक डिजायनर व्रत है जिसे हाई सोसायटी की पेज थ्री महिलायें अपनी काया और अपने पति की माया को हल्का करने के लिए मनातीं है । आजादी के बाद देश में गाँधीवादी तरीके से मनाये जाने वाला ये सबसे बड़ा व्रत है । जिसमें महिलायें अपनी अवैध माँगो को मनवाने के लिए पूरा सोलह श्रृँगार कर निर्जला अनशन करती हैं ।

भोला बोला - महाराज, इसके लिए की जाने वाली तैयारियों के बारे में कुछ बताईये?

हमने कहा – भोला, पितरों की बिदाई के बाद से ही करवाचौथ के लिए बाजार सजाया जाता है । सजने के लिए महिलाओं द्वारा फेशियल
, वैक्स आदि कराना शुरू कर दिया जाता है। इसके साथ ही करवाचौथ के दिन सजने के लिए भी एडवांस बुकिंग भी की जाती है । चूँकि दीपावली का त्यौहार भी करीब ही होता है इसलिए इन दिनों लीपाई पुताई के उत्पादों एवं कार्यों की महत्ता अधिक होती है । दोनों व्रतों की पौराणिक महत्ता को देखते हुए घर की दीवारों और महिलाओं पर लीपाई पुताई करने वाले संस्थानों द्वारा भी लुभावने ऑफर दिए जाते हैं।
 
जहाँ दीपावली के लिए हार्डवेयर दुकानों में बीस लीटर एशियन पेण्ट के साथ दो किलो जे के वॉलपुट्टी मुफ्त का ऑफर रहता है वहीं पार्लरों द्वारा फेशियल के साथ मेनीक्योर तो मसाज के साथ पेडीक्योर जैसे ऑफर करवाचौथ के लिए रखे जाते हैं। मेहंदी की बुकिंग पीक सीजन में रेल्वे रिजर्वेशन की तरह तीन माह पहले से ही महिलाओं द्वारा कराई जाती है। करवाचौथ पर महिलाएं का पार्लर में ही सजना व्रत का एक अहम हिस्सा है । कुल मिलाकर ये व्रत उन पुरातात्विक कारीगरों की अग्नि परीक्षा होती है जो पुरानी खण्डहर को एक दिन के लिए राजसी महल का वैभव प्रदान करने का दावा करते हैं ।


भोला की जिज्ञासा लगातार उत्सुकता मे परिवर्तित होती जा रही थी । उसने चहककर पुछा – महाराज, एक बात बताईये , करवा चौथ के दिन रात को छत पर ही पति का चाँद को छन्नी से छानकर व्रत तोड़ने का क्या कारण है? आँगन से भी तो यही काम हो सकता है ?  

हमने कहा – देख भाई भोला, हमारी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं हैं । ये तो उन पेज थ्री महिलाओं द्वारा फिल्मों के माध्यम से प्रचारित किया गया है जिनको इस बात का यकीन नही होता कि अगले साल भी उनका पति यही होगा या कोई और । इसलिए वो छत पर जाकर छन्नी और चाँद के बहाने दूसरे छत पर नये वेकेंसी की तलाश में रहती हैं ।

भोला इससे पहले हमसे कुछ और उगलवाता, हमने उससे कहा - अच्छा अब भाग यहाँ से , वरना हमारे मुँह से गोपनीय बातें उजागर हो गई तो सारी पेज थ्री वाली महिलायें मोर्चा लेकर शाम को यहीं करवा चौथ मनाती दिखेंगी ।

भोला बोला – बस महाराज , जाते जाते एक बात बता दो , गुरूमाता जी करवा चौथ मना रही हैं कि नहीं ? माने आपके जेब का वजन केतना हल्का किया है ?


इतने में गृहमंत्री करेले का काढ़ा लेकर कमरे में आई और भोला को देखकर बोली – देखो भोला, हम कल से कह रहें हैं कि हम भी करवा चौथ का व्रत रखेंगे लेकिन ये है कि मानते ही नहीं ।   

मैने कहा- भाग्यवान, एक दिन उपवास रखने से हमारी उम्र और तुम्हारे भीमकाय शरीर के वजन में कोई फर्क नही पड़ने वाला । हमें कई सालों तक यूँ ही साथ साथ रहना है ।

उसने कहा – क्यों ?

मैने कहा – क्योंकि हम दोनो की उम्र बहुत लम्बी है ।

उसने कहा – आपको कैसे मालूम ?

मैने कहा – क्योंकि चित्रगुप्त ने यमराज को अच्छे से समझा दिया है कि तुझसे ज्यादा मुझे प्रताड़ित करने देने की फेसिलिटी और तेरे जितने भारी सामान को उठाने की कैपेसिटी उनके पास नही है ।

गृहमंत्री ने कहा – ये सब बेकार की बातें हैं । सीधे सीधे कहो कि मेरे लिए जेवर खरीदने की तुम्हारी इच्छा शक्ति नहीं है।

मैने कहा – देख गजगामिनी, जेवर खरीदने की तो प्रबल इच्छाशक्ति है लेकिन अभी हमारी आर्थिक स्थिति लोकसभा में काँग्रेस के जैसी ही है ।

उसने मुझ पर रहम खाते हुए कहा – चलो ठीक है इस साल अँगूठी ही दे देना ।

अभी अभी मेसर्स फोकटचन्द लूटचन्द ज्वेलर्स को अपनी गृहमंत्री की चीनी उँगली का माप बताते हुए अँगूठी आर्डर किया तो उसने बताया कि महाराज इस नाप का कंगन आता है अँगूठी नहीं ।