सोमवार, 28 मई 2012

तेल का खेल मतलब केएलपीडी

इन दिनों नौतपा ने तपा कर रखा हुआ है और तेल ने अलग से आग सुलगाई हुई है। ऐसे में किसी असरदार व्यक्ति से राहत की उम्मीद करना और वो भी दोपहर के बारह बजे ठीक वैसा ही है जैसे शाहरूख की बात मानकर मर्दों वाली क्रीम लगाकर गोरा होना ।  सारे शरीर से जल की निकासी हो रही है और जहाँ से नहीं हो रही वहाँ से तेल निकल रहा है । ए.सी.के कम्प्रेसर ने भी दम तोड़ दिया तो नये कम्प्रेसर की स्थापना की गई लेकिन उसने भी बेवफा की तरह अपनी ताम्र नसों से तेल लिकेज कर आत्महत्या कर ली |
ऐसा मैं अपने पुराने ए.सी.इंजीनियर के उस बयान के आधार पर कह रहा हूँ जिसने कम्प्रेसर चेक करने के बाद बताया की ये खराब हो गया है । मैने पूछा ये तुम्हे कैसे मालूम हुआ तो उसने कहा देखिए इसका तेल निकल गया है । अब पुन: शिकायत दर्ज की है कम्पनी का मेसेज आया है कि कोई विरेंद्र नामक इंजीनियर टाईप चिकित्सक आयेगा और कम्प्रेससर ट्रांसप्लांट कर मुझे और ए.सी. दोनो को नवजीवन प्रदान करेगा। कुल मिलाकर ए.सी. ने मेरी ऐसी की तैसी कर रखा है ।
खैर ये तो हुई अंदर की बात और इसलिए लिखी कि भाई साहब अब हमें भी पता चल गया है कि बिना ए.सी. की सुविधा के कोई भी बुध्दजीवी “तोड़ती पत्थर” टाईप की रचना लिख नहीं पाता है । है कोई माई का लाल जो नाले का पानी पीकर “मधुशाला” लिखकर दिखाये ।
अरे तेल से याद आया कल एक परजीवी जिसे आम बोलचाल में बुध्दजीवी कहा जाता है मुझे तेल का गणित समझाने का प्रयास कर रहे थे । ठीक वैसे ही जैसे हरिया दूधवाला अपनी भैंस को दुहने के पहले पुचकारता है । कहा देखो महाराज तेल का 80 प्रतिशत हम आयात करते हैं तो इसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है । हमने कहा ठीक है भाई ये बात तो पहले कई बार पिंचुदादा भी बता चुके हैं इसमें नया क्या है । सवाल हमारा ये है कि क्या अभी अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल का दाम बढ़ा है क्या ?  उन्होने कहा नहीं तो हमने दूसरा बाल फेंका तो फिर तेल का भाव क्यों बढ़ाया ?
उनके चेहरे के भाव देखकर हम समझ गये कि ये हमसे आज शास्त्रार्थ करेगा नहीं और इसे बिना कुछ खिलाये पिलाये हमारी बातों का जवाब देगा नहीं । तेल की कीमतों से जो हमारा तेल निकल रहा है उसका गुस्सा किसी पर तो निकालना ही था सो हमने ये सोचकर उसे जलपान का आमंत्रण दिया कि चलो साईकिल चला कर दो लीटर पेट्रोल कम डलवा लेंगे लेकिन अपनी भड़ास निकालेंगे जरूर ।    
आगे से हम सभी परजीवी बुध्दजीवीयों को “मामू” कहकर सम्बोधित करेंगे आपको ये सनद रहे कन्फ्यूजियाईगा नहीं ।
मामू ने कचौड़ी को कलमाड़ी की तरह कामनवेल्थ समझकर अपने गोदाम में पहुँचाया और कनिमोझी की तरह मुस्कुराकर कहा देखो महाराज तेल हम डॉलर में खरीदते हैं और रूपिया का भाव गिर गया है सो डॉलर मँहगा हो गया इसलिए हमको तेल रूपिया में मँहगा पड़ रहा है ।  हम कहा चलो ठीक है लेकिन केरोसीन, एलपीजी और डीजल के लिए रूपिया नहीं गिरा क्या या ये सब हम अपनी बाड़ी में ही पैदा करते हैं ?  
मामू ने सिर पकड़ा और कहा अरे यार महाराज आप तो निपट गँवार हो । अरे इस केएलडी (KLD) पर सरकार कम्पनियों को सबसीडी दे रही है इसलिए इनका नियंत्रण सरकार के पास है । हम कहा चलो ये भी मान लिया लेकिन ये केएलडी क्या है और इस पर सरकार क्यूँ सबसीडी दे रही है । मामू ने लगभग झल्लाते हुए कहा महाराज अपने खिलाये नमक का ज्यादे इम्तिहान मत लो । अरे यार केएलडी (KLD) मतलब केरोसीन, एलपीजी और डीजल और इसमें सबसीडी इसलिए दे रही है क्योंकि इसका उपयोग गरीब और किसान करते हैं ।
लेकिन हम भी ठहरे पक्के मारवाड़ी अपने कचौड़ी का पैसा वसूल किये बिना छोड़ने वाले नहीं थे भले ही दस रूपिया और इंवेस्ट हो जाय पर उँगली पूरी करेंगे । इसलिए चाय का आर्डर देते हुए पूछा अरे यार मामू ये बताओ जब इस देश का साठ परसेंट आदमी 32 रूपिया रोज कमाता है तो वो सिलेंडर और डीजल क्या खाक खरीदता होगा और रही बात किरोसिन की वो तो आजकल बहुओं को जलाने के ही काम आती है और ये हमें बेवकूफ मत बनाओं गरीब आदमी या तो गोबर के कण्डों से खाना बनाता है या फिर भूखे ही सो जाता है किरोसीन और डीजल बड़े बड़े उद्योगपतियों के कारखानों में या फिर पुरानी ट्रकों और बसों के टैंक में नजर आती है । और रही बात एलपीजी की तो आधी गैस तो मँहगी पेट्रोल कारों के डिक्की में इंधन सप्लाई करती नजर आती है ।
अब हमें मामू का चेहरा कैबिनेट की तरह नजर आ रहा था सो हमने मामू के उपर भड़ास तो खूब निकाली लेकिन एक फेसबुकिये दोस्त ने कहा वो सब मत लिखो क्योंकि ज्यादे लम्बे लिखोगे तो कोई पढ़ेगा नहीं और फिर बात निकलेगी तो फिर लेख में शब्द सर्वसाधारण के प्रयुक्त होने लगेंगे और कुछ मामू इसे अश्लील भाषा कह “A” सर्टिफिकेट घोषित करवाने के लिए घण्टा बजायेंगे इसलिए मामू को जो आपने आखिरी पंच मारा था वही लिख दे, समझने वाले समझ जायेंगे । हमने कहा ये भी ठीक है तो आखिरी पंच आप भी सुने और हमें विदा दें ।
हमने मामू से कहा अरे सुनो मामू इस सरकार से कहो कि ये केएलडी (KLD) पर सबसीडी का दिखावा बंद करे । या तो टैक्स कम कर पेट्रोल के दाम घटाये या फिर सबका दाम बढ़ाकर इस KLD में पेट्रोल का P भी घुसा ले ताकि ये पूरा केएलपीडी (KLPD) हो जाये जिससे आम जनता के प्रति उसका चरित्र भी सार्थक हो जायेगा ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बुद्धिजीवी=परजीवी,
    बुद्धिजीवी= मामू ,
    मामू = वयस्कों से सम्बंधित शब्द ,
    वयस्कों से सम्बंधित शब्द =A + सर्टिफिकेट
    अत : बुद्धिजीवी = A + सर्टिफिकेट ,
    नयी शब्दावली की जानकारी मिली...साधुवाद
    सरकार ने भी हर मौसम में खून चूसो नीति छोड़कर JKTN (जनता का तेल निकालो) नीति पर अमल करना शुरू कर दिया है...फिर तो ऐ. सी. जैसी मानव निर्मित चीजों की क्या बिसात जो गर्मी के मौसम में ट्रेंड से गद्दारी करें.. :-)
    बहुत रोचक लिखा. तेल की जलन पर भी शीतलता का लेप लगा

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