सोमवार, 19 नवंबर 2012

आऊल बबा एंड रिटर्न ऑफ भौजी घोटाला


 
आज सुरज निकलने से पहले हमारी आँख लगी ही थे कि आऊल बबा अपने थीफ एड-वाईजर गधा सिंह के साथ हमारे दरवाजे आये और हमें जगाने के लिए अपना घण्टा बजाया ।

हम आँख मलते हुए उससे पूछा-  का हो आऊल बबा , सब खैरियत तो है ।  आज भोर होने से पहले ही , कौनो टेंशन है का ?  

आऊल बाबा कुछ कहते उसका पहला ही उका एडवाईजर गधा सिंह ने नाक मा चश्मा चढ़ाईके हमरा से बोला - महाराज, बबा टेंशन लेने वाला प्राणी नहीं हैं, ऊ टेंशन देने में बिलिव रखते हैं ।

हम कहा – तभै बियाह नहीं करबे किया है ।  अच्छा तो फेर बताओ ई सुबह होने के पहले दर्शन काहे दिये बबा ? आम जनता के कऊनो तकलीफ में कमी आ गई है का ?

बबा चहकते हुये बोले – तकलीफ का कोनो बात नहीं है, बल्कि हम बहोत ही खुशी में खुश हूँ । आखिरीकार अम्मा ने हमको बड़ी जिम्मेदारी दे ही दिया, अब हम टीम का नान प्लेईन्ग कैप्टनवा बन गया हूँ और हमरा साथ साथ ई हमरा एडवाईजर गधा सिंह को भी “बी सी”  कमेटी का हेडवा बना दिया है ।

हम कहा – ई बीसी कमेटी का होत है बबा ?
बबा कहिन – अरे ऊही जो मुँह से टीवी मा उगलत हैं
अच्छा , फेर हमरे दरवज्जे काहे घण्टा बजा रहे हो बबा ? – हमहू आदतन उँगली करते हुए पूछा
बबा कहिन  – देखा महाराज, तुम जो है ना,  दूसरों की नाक में बहुते उँगली करते हो ,  हम सोचा इबकी हम तोहरी उँगली करें ।
हम कहा – सुनो बबा हम त नाक में करत हैं , इबकी चौदह में देश की जनता तुम लोगन ऊहाँ उँगली करने वाली है, जहाँ से खाया पचाया निकालते हो, फेर जेतना खाये हो ना उस दरवज्जे से निकल नहीं पायेगा , पूरा मँह से उल्टी होकर ही निकलबे करेगा ।

ऐतना में एडवाईजर गधा सिंह बीच में बोल पड़ा – उ त हम रोज निकालबे करता हूँ ।
हम कहा – तोहरी बात अलग है गधा सिंह,  तोहरे तो मुँह में ही बवासीर है । अच्छा ई सब छोड़ो मुद्दे की बात करो ।
बबा कहिन – महाराज हम तो इसलिए इतनी जल्दी आ गया कि तोहरा के बता सकें कि केतना हमको गरिया रहे थे, भौजी के नीलामी में ऐसन हुआ, वैसन हुआ, पौने दू लाख करोड़ रूपिया का घोटाला हुआ है, ईब देखो दुबारा भौजी के नीलामी में कोनो खरीददार ही नहीं आया, अऊर जो आया ऊभी कौड़ी के मोल खरीदा । हम तो पहिले से बोल रहा था, भौजी का नीलामी पहले भी पूरा मुहल्ले के सामने ईमानदारी से हुआ था, बात त ई है कि उत्ना कीमत की भौजी कभी रही ही नहीं ।

हम कहा – ओ तेरी आऊल बबा, इब किस भौजी की नीलामी कर दी ?

एतना में एडवाईजर गधा सिंह तपाक से क्लेरिफिकेशन दिया – महराज, भौजी नहीं टूजी । ऊ का है ना अपना बबा सुबह से दातुन-मंजन नहीं किया है न इसलिए स्लीप ऑफ टंगड़ी हो गया ।

हम कहा - चलो ठीक है, पर साले तुम लोगन का कोई भरोसा भी नहीं , उसका भी नीलामी कर सकते हो ।
एडवाईजर गधा सिंह चहकते हुए बोला – ईब बताओ महाराज, पहिले तो खूब गरिया रहे थे, अब बबा को जवाब दो, कहाँ है घोटाला ?
हम कहा – रे गधा सिंह, तुम खुदे साले घण्टाला हो, हमका मत सिखाओ ।  पहिले अपने बबा को समझाओ कि भौजी और टूजी में केतना अंतर है ?
बबा कहिन – महाराज ई त आप मुद्दे से भटक रहे हो, हमरी बात का जबाब दो या देश से माफी माँगो

हम कहा – वाह रे आऊल बबा, साले भौजी को बेचो तुम और देश से माफी माँगे हम। लेकिन तोहरा के बताय रहें है, हम कोई अण्डाकरी खाने वाले महाराज नहीं कि अन्दर से दाऊद ईब्राहिम हों और सिर पर गेरूआ पगड़ी बाँध कर विवेकानन्द बने फिरते हों । अब हम तुम लोगन को बताऊँगा नहीं समझाऊँगा , बस जो पूछूँ उसका जवाब सही सही बताना । बोलो मंजूर .

एडवाईजर गधा सिंह बोला – मंजूर मंजूर ।
बबा कहिन - एडवाईजर गधा सिंह के मंजूर त हमरा के भी मंजूर ।
हम अपना प्रवचन स्टार्ट किया – सुना, अभै कौन सा बरस चल रहा है ? बबा कहिन – दू हजार बारा 
हम कहा – दू हजार छौ में तुम टीबी खरीदते तो कौन सा खरीदबे करते ?
बबा कहिन - 20 इंचिया कलर टीवी, ऊ भी रिमोट वाला । 
हम कहा – केतना में मिलता ?
बबा कहिन – बीस गो हजार में तो मिलबे ही करता ना ।
हम कहा - अच्छा तो ई बताओ अभै टीबी खरीदना हो तो उही नेता पेट वाला टीवी खरीदोगे के करीना जैसा जीरो फिगर वाला एलसीडी ।
बबा कहिन – धत्त तेरे कि, आप भी न महाराज कभै कभै हमका एकदम बुड़बक समझ के सिम्पल कोश्चन पूछ देते हो, ऑफ कोर्स, अभै तो कोई पगला ही नेता पेट वाला टीबी खरीदबे करेगा, हम तो एलसीडी ही खरदूँगा ।
हम कहा – अच्छा मान लो अभै कोई बुड़बक 20 इंचिया नेता पेट वाला टीबी खरीदेगा तो केतना में मिलेगा ? 
बबा कहिन -  केतना क्या ज्यादे से ज्यादे तीन-चार हजार में मिल जायेगा अऊर क्या ?
हम कहा – रे आऊल बबा, ठीक उही टाईप का जब 3G , 4G का जमाना हो तो तुम्हारी भौजी और हमारी 2G को तुम्हारे जईसा बुड़बक भी नहीं खरीदेगा । अऊर खरीदेगा भी तो कौड़ी के दाम में ही खरीदेगा .. समझा रंगीला चचा के नाती
ऐतना में गधा सिंह बीचबचाव में कूद गया अऊर बोला – महाराज ऐतना पर्शनल होना ठीक बात नाही, तुम त ई बताओ सस्ता में मिल रहा था फेर भी खरीददार काहे नहीं आये, जोरदार कम्पीटिशन काहे नहीं हुआ ?

हम कहा -  रे गुरूघण्टाल , तू तो दस साल “बीच परदेश” का मुखिया रहा है तोहरा  के ऐतना भी नहीं पता के ठेकेदार लोगन का जब रिंग बन जाता है तो कम्पीटिशन नहीं होता, नेगोशिएशन होता है, अऊर उ का बोली केतना होगा ई रिंग देने वाला ठेकेदार डिसाईड करता है बाकि सब ठेकेदार या तो सपोर्टिन्ग रोल में बोली लगाता है या फिर नीलामीं में आबे नहीं करता ।

बुड़बक के नाती , साले दुनो भोर में हमरा उँगली करने आये हो, जाओ कुटिल सब्बल और मुनिष त्यौहारी को भेजकर उधर टीबी में गला फड़वाकर लोगन के चुतिया बनाओ और जब लोग नई माने तो आखिरी में बोल देना ई बिनोदी सीएजी साम्प्रदाईक ताकतों के साथ मिल गया है और मौनी बाबा को बदनाम कर रहा है । 

इतना सुनते ही एडवाईजर गधा सिंह, आऊल बबा को खींच कर ले जाने लगा पर आऊल बबा गुस्से से बड़बड़ाते हुए जा रहे थे “ मम्मी से बोल के इ साले उँगलबाज के पिछवाड़े में सीबीआई लगवाऊँगा और रामलीला मैदान में चिद्दू मामा के गुण्डों से निपटाऊँगा ”



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