बुधवार, 21 नवंबर 2012

जनचूसपाल और कसाब की मौत



आज सुबह से मच्छरों ने काफी तंग किया हुआ है । खून तो वो मेरा रोज ही पीते हैं पर आज दुगुने उत्साह से पी रहें हैं और साथ साथ कान में भी आ-आ कर जोर जोर से भुनभुना रहे हैं, लेकिन आज की भुनभुनाहट में कुछ अजीब सी लयबद्धता थी । अब मुझे तो उनकी भाषा आती नहीं इसलिए एक धोने वाले हाथ की विचारधारा रखने वाले मोमबत्ती ब्रिगेडी कीट विशेषज्ञ "स्वामी क्षद्मवेश" को ई पेमेंट द्वारा उनके एकाऊण्ट में आगमन भत्ता डिपोजिट कर अपने घर बुलाया । दरवाजे पर मैं और नाली के मच्छरों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मण्डल उनके स्वागत में आतुर था । जैसे ही वे अपने वातानुकूलित गाड़ी से गेरूआ लबादा ओढ़े उतरे। मैने उन्हे आदरपूर्वक कहा - "लाल सलाम स्वामी जी"

नाली के छाओवादी मच्छरों ने भी उनके पैरों के पास पहुँचकर जोर से भुनभुनाया । उन्होने अपनी लाल पगड़ी को गाड़ी के आईने में देखकर ठीक किया और मेरे सलाम का जवाब देने की बजाय मच्छरों के पास अपना चेहरा ले जाकर जोर से कहा - लाल सलाम जिन्दाबाद ।  

हमें उनका ये व्यवहार अपमानजनक लगा लेकिन ये सोचकर मन को तसल्ली दी कि बड़े आदमी हैं इसलिए छोटे लोगों को ज्यादा मुँह नही लगाते होंगे।  फिर अचानक ही वे मेरी ओर मुखातिब हुए और एहसान जताने के अन्दाज में कहा - बोलो मुझे तकलीफ क्यूँ दी ?

मैने कृतज्ञ भाव से उनसे हाथ जोड़कर कहा - स्वामीजी, ये नाली के मच्छर जरा कुछ ज्यादा ही खून पीतें हैं लेकिन आज बहुत उदास हैं, शायद आमरण अनशन पर हैं लेकिन जो एसी बेडरूम के कुलीन मच्छर हैं ये जरा ज्यादा ही उत्साहित हैं और इसके साथ साथ आज वे अजीब सा कानों में भुनभुनाकर परेशान भी कर रहें हैं ।

स्वामीजी नाराज हो गये और बोले तुम मनुवादी लोगों की यही परेशानी है । सदियों से इनका खून पी-पी कर इनके कानों में पिछला शीशा डालते आ रहे हो । आज जरा सा तुम्हारा खून क्या पीने लगे तुम लोगों को तकलीफ होने लगी । और सुनों तुम अपने शरीर में बह रहे जिस खून पर अपना अधिकार जता रहे हो दरअसल वो तुम्हारा है ही नहीं । ये इन्ही गरीब मच्छरों का खून तुम्हारे शरीर में दौड़ रहा है जो तुम्हारे पूर्वजों ने इनका पीया है।

हम उनके जेएनयू वेद के शास्त्रार्थ के आगे नतमस्तक थे । ये भी नहीं कह सकते थे कि हमारे शरीर में हमारे पूर्वजों का खून नहीं दौड़ रहा है । लेकिन हम भी ठहरे मोम में बाती डालने वाले वरिष्ठ उँगलबाज । जवाब ना देते तो उँगलबाज समाज का घोर अपमान था इसलिए आदरपूर्वक कहा स्वामीजी जी हमारी रगों में जो हमारे पूर्वजों का खून दौड़ रहा है अगर वो इन्ही का है तो फिर हम और ये तो एक ही हुए ना, उस नाते हमें भी इनको मिल रही सारी सरकारी सुविधायें दिलाने के लिए आप मोर्चा काहे नहीं खोलते ।

स्वामी जी कसमसाते हुए अपने बाँये हाथ से खुजाये ( अब ये मत पुछिये कहाँ ) और कहा - महाराज, आप दिल से बड़े सच्चे प्राणी हैं, आपकी बात अलग है, हम जनरल बात कर रहे थे । खैर ये बताओ हमें क्यूँ याद किया ?  हमने उन्हे और उनके खून पीने वाले मच्छर अनुयाईयों को घर में सादर आमंत्रित किया । घर में विराजमान होकर उन्होने पूर्वसहमति के आधार पर बिना प्याज लहसून से बने शाकाहारी चिकन चिल्ली का नाश्ता किया और उनके अनुयाई बचे हुए चिली मसाले पर टूट पड़े ।

मैने उनसे निवेदन किया स्वामी जी ये बतायें कि ये आपके अनुयाई सैनिक नैसर्गिक आचरण के विपरीत आज उदास हैं किंतु विरोधी खेमे के मच्छर जो हमारे ही एसी कमरे में ऐश से रहते हैं और कमरे से बाहर नहीं निकलते वे आज दुगुने उत्साह से हमारा खून पीने के साथ साथ कानों में लयबद्ध गुंजन भी कर रहें हैं । जरा कमरे में चलकर उनके इस वर्ताव का अध्ययन करें और विश्लेशण कर इसका कारण हमें बतायें ।

स्वामीजी उठे और हमारे कमरे में प्रविष्ठ कर कमरे का रक्तिम आँखों से अवलोकन किया । कमरे की स्थिति देखते हुए उन्होने तसल्ली भरे अंदाज में कहा ये संतोष की बात है कि इस कमरे की साफ सफाई तुम खुद करते हो यानी महिला उत्पीड़न का मामला नहीं बनता है ।

फिर उन्होने कुलीन मच्छरों के पास अपना कान टिकाया और मुस्काराकर बोले -  जय हो , जय हो महाराज , ये तो साले केजरीवाल ग्रुप के मच्छर हैं। साले कह रहें हैं जो काम देश के बड़े बड़े हिजड़े नहीं कर पाए वो उनके बिरादरी के वीर मच्छर ने कर दिखाया और उसी का उत्सव मना ब्लड पार्टी कर रहें हैं ।

मैंने कहा स्वामी जी मैं समझा नहीं ?

स्वामी जी बोले - यार महाराज, इनका मानना है कि जिस कसाब को ये भ्रष्ट तानाशाह चार सालों से मेरे जैसे बिरियानी खिलाकर पालपोस रहे थे , इनके संगठन ने जनचूसपाल कानून के तहत इनके समुदाय के ही एसी मच्छरों का एक आंतरिक चूसपाल कमेटी बनाया और एक हफ्ते में ही मामला निपटा कर मौत की सजा सुनाई । एसी मच्छरों के नेता डेंगूलाल खुजरीवाल ने स्वयं इसे डंक मारकर डेंगू के जरिये मौत की सजा दी । अब भले ही ये तानाशाह अपनी कमजोरी छुपाने और शर्मिन्दगी से बचने के लिए फाँसी की सजा देने की बात कर रहें हों पर असलियत में कसाब के देशद्रोह की सजा जनचूसपाल कानून के तहत डेंगू से ही हुई है और जनचूसपाल की महत्ता सिद्ध होने पर ये लोग ब्लड पार्टी मना रहें हैं ।

मैने कहा - स्वामीजी, ब्लडपार्टी का तो समझ में आ गया पर ये लयबद्ध भुनभुनाहट का क्या राज है ।

स्वामी बोले -  अबे महाराज ,  ये मच्छर कुमार विश्वास अपने चमचों के साथ कवि सम्मेलन कर रहा है और सभी मिलकर गा रहे हैं -

कोई मलेरिया फैलाता है, कोई हिजड़ा बनाता है
मगर मच्छर की ताकत को नहीं समझता है
कोई कितना भी छिड़कले बेगान का स्प्रे हमपे
कोई भी हम पतंगों का नहीं कुछ बिगाड़ पाता है
हमें अपने डेंगू लाल खुजरी पर गर्व है इतना
वतन की लाज रखने को वो डेंगू फैलाता है

और बाकी सब मच्छर चिला रहें हैं.........  " जनचूऊऊऊऊसपाल जिन्दाबाद "  ॥ जय हो ॥  

1 टिप्पणी:

  1. तंत्र और खुजलीवाल मच्छर पर रोचक व्यंग है ,सरल हास्य उपजाना तो आपके बाएँ हाथ का खेल दिखता है। हमेशा की तरह व्यवस्था पर सटीक प्रहार। साधुवाद

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