शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

दीवाली का दीवाला

कल दीपावली की रात थी । इस उम्मीद में पूरे घर मे रोशनी कर मेन गेट तक खुला इसलिए रख छोड़ा था कि लक्ष्मी जी डाईरेक्ट घर के अन्दर घुस जायें । आजकल पूरे देश में मोदी जी की लहर चल रही है, उनके धोखे में ही लक्ष्मी जी आ जायें इसलिए उनके स्टाईल का ही हैण्डलूम वाला ड्रेसकोड भी अपना लिया और इंतजार में बाहर स्टूल में बैठा हुआ था ।

 अब लक्ष्मी जी आतीं उससे पहले कालोनी के सारे बच्चे आ धमके । समवेत स्वर में बोले – अंकल जी, राकेट जलानी है , हमारी मदद करो ।

मैनें कहा – बेटा, राकेट चलाने की उम्र तुम लोगों की है । हमारी उम्र के लोगों को तो “अनार” और “फुलझड़ियों” का ही शौक होता है । हाँ कभी-कभी मौका मिले तो “आयटम बम” की इच्छा हो जाती है ।
आजकल के बच्चे बड़े इंटिलिजेंट होते हैं । तत्काल हमारी मनोभावना को समझ गये । बोले – अंकल जी , मन में ज्यादा लड्डू मत फोड़िये, डायबिटीज का खतरा होता है । आपको चलाने के लिए नहीं, व्यवस्था बनाने में मदद चाहते हैं ।

निकट भविष्य में होने वाली बेईज्जती को भाँपते हुए मैने विषय बदला और कहा – बोलो बेटा , कैसी मदद चाहते हो ?

उन्होने अपने मतलब की बात सीधे कही – अंकल जी, दस बारह खाली बोतल दे दीजीए ।

मैने कहा – अबे, मैं क्या कबाड़ी हूँ जो मेरे पास खाली बोतल मिलेगा ?

उनमें से एक वरिष्ठ बच्चा बोला – अंकल जी, मेरी बुआ फेसबुक पर आपको कंटिन्यू फालो करती है । उसने सारी अंटियों को बताया कि कही मिले ना मिले आपके यहाँ खाली बोतल जरूर मिल जायेगी । और हमें बेवकूफ मत बनाईये, आपका चेला भोला शकर ने यहीं की खाली बोतल बेचकर नई बाईक खरीदी है ।

इसी गहमागहमी के बीच बच्चो की टीम को पीछे से निर्देशित कर रहा भोला शंकर सामने आया और बोला – महाराज, ऐसा हो नही सकता कि आपके पास बोतल ना हो । आप तो बड़े परम्परावादी धार्मिक बने फिरते है, बच्चो की खुशी के लिए एक खाली बोतल नही दे सकते ।

मैने उनसे कहा – अबे भोला, बोतल तो है पर एक भी खाली नहीं है ।

भोला शंकर बच्चों की ओर मुखातिब होकर बोला - चलों बच्चो , गार्डन मे जाकर इकठ्ठे हो जाओ, मैं अभी खाली बोतल लेकर आ रहा हूँ । फिर चैरिटी के मूड में आते हुए मुझसे बोला –महाराज, तो खाली कर दे दीजीए ।

मैने कहा – अबे आज अपना मूड नहीं है । जा छत पर आलमारी में एक आधी बोतल है , उसे ही कहीं नाली में खाली कर बच्चों को दे दे ।

भोला तत्काल घर के अन्दर गया और अपने गुरूमाता के चरण स्पर्श कर हैप्पी दीपावली बोला । हमारी प्राईवेट लक्ष्मी ने उसे आशीर्वचन देते हुए बोली – भोला, दीपावली की मिठाई खाकर ही जाना ।

भोला बड़ा चालाक निकला, बोला – गुरू माते, आज बहुत मीठा खा लिया है, कुछ नमकीन और ठंडा पानी ही देना । अपना जुगाड होते ही वो गुरूमाता की नजर बचाते हुए नमकीन और पानी लेकर वह हमारे छत की ओर चुपके से निकल गया ।

आधे घण्टे बाद भोला गार्डन एरिया में बच्चों के साथ पूरे मस्ती में लहराते हुए राकेट उड़ाने का लुत्फ उठा रहा है ।

इसी बीच एक शुभचिंतक ने व्हाट्स अप पर मेसेज भेजा “तीन लोग आपका नंबर मांग रहे है
, मैंने नहीं दिया | पर आपके घर का पता दे दिया है | वो "दिवाली" के दिन आयेंगे | उनके नाम है - सुख , शांति  और  समृद्धि”

खैर सुख और समृद्धि तो शायद कालोनी के बड़े वाले बँगले पर रूक गई । केवल शांति ही हमारे आँगन तक पहुँच पाई इससे पहले वो कुछ कहती, लक्ष्मी पूजा खत्म कर गृहलक्ष्मी ने आदेशनुमा निवेदन किया – सुनो जी, सारे लोग अपनी अपनी पत्नी के साथ फोटू खींचकर फेसबुक पर चिपका रहें हैं, आप भी चिपकाईये ना ।

मैने कहा – चिपकाने को तो मैं भी चिपका दूँ , पर थूक किस तरफ लगाऊँ समझ नहीं आ रहा।

मेरा इतना ही कहना था कि उसके अन्दर किसी पाकिस्तानी रेंजर की आत्मा समा गई और निजी आयुध अस्त्रों से मेरी हालत भारतीय चौकी की तरह बनाने में जुट गई । सीमा पर तनाव देखकर आँगन में खड़ी शांति पलटकर जाती हुई बोली – जब तक मेरी सौतन इस घर में है मैं यहाँ नहीं रह सकती । हम दोनों का एक साथ गुजारा सम्भव नहीं ।

ये तो गनीमत था कि पड़ोसियों को मुझ पर हो रहे हमले की भनक नहीं पडी क्योंकि दीपावली के पटाखों के साथ आयुध अश्त्रों ने जुगलबंदी कर ली थी । बीच बीच में मेरे चीखने और कराहने की आवाज को उन्होने ये सोचकर ध्यान नहीं दिया कि महाराज खाँटी ब्राह्मण हैं, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शायद कोई विशेष तंत्र पूजा का मंत्रोच्चारण कर रहें हों ।

खैर, देर रात हम दोनों के बीच एक शिमला समझौता हुआ कि सुबह उठते ही दोनो की साझा तस्वीर फेसबुक पर बिना थूक लगाये चिपकाऊँगा ।

आज कामवाली बाई का राजकीय अवकाश है, सुबह उठते ही मैने घर का झाड़ू पोछा एवं बर्तन वगैरह साफ कर दिया है । गृहलक्ष्मी जी कालोनी की महिलाओं के साथ मिष्ठान आदान प्रदान कर दीवाली मिलन में व्यस्त है इसलिए स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण मे है ।


समझौते का पालन करते हुए तस्वीर भी चिपकाई जा रही है , इसमें प्रदर्शित भावभंगिमाओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है ।

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें