शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

कृषि दर्शन

एक गाँव का किसान चार दिन से मेरा दिमाग खा रहा है !  नया नया जूस कम्पनी का  मोबाईल  खरीदा है ! फ्री टॉक टाईम का पूरा उपयोग कर मेरा और अपने मोबाईल दोनो का जूस  निकाल रहा है ! आज फिर उसने सुबह सुबह मेरा दिमाग चाटा, पूछने लगा महाराज, ये अन्ना अन्ना क्या है ! (गाँव के लोग मुझे महाराज कहते हैं अपुन भी कोई आम आदमी नहीं हैं ) मैंने सोचा चलो उसकी बुध्दि के अनुसार समझा देता हूँ तो कह दिया महात्मा गाँधी को जानता है न ! ये उसी का फोटो कापी है ! गाँव का किसान अनपढ़ होता है लेकिन मूर्ख नहीं ! उसने तुरंत दूसरा प्रश्न दाग दिया बोला महाराज लेकिन वो गाँधी डोकरा तो लँगोटी पहनता था और ये तो नेता टाईप का कुर्ता धोती ! फिर ये उसका फोटो कापी कैसे हो गया ? मैंने उसके कहा सुन भोला शंकर , वो पुराना गाँधी का क्या नाम था “मोहन” और ये गाँधी का नाम है “केशव” अब दोनो नाम कृष्ण भगवान के ही नाम हैं ! दोनों कृष्ण हमारे जमाने के हैं इसलिए बाँसुरी नही,  पूँगी बजाते हैं ! पुराने वाला गाँधी भी मरते दम तक खाना नहीं खाऊँगा कह के गोरे अंग्रेजों को धमकाता था ! ये नया गाँधी भी वैसे ही भूखा रहकर “काले अंग्रेजों” को धमकाता है ! तू लँगोटी पर ज्यादा ध्यान मत दे ! वो मोहन गाँधी लँगोटी पहनता था लेकिन ये केशव गाँधी थोड़ा दूसरे टाईप का गाँधी है लंगोटी पहनने में नहीं नेताओं का उतारने का काम करता है ! अब कोई पहने या उतारे क्या फर्क पड़ता है, मतलब तो तुझे लँगोटी से ही है ना ! भोला शंकर भी जोंक से कम नहीं है बोला महाराज वो सब तो ठीक है पर इसको अन्ना अन्ना क्यों बोलते हैं ! अब मेरा माथा गरम हो गया, अबे ओ भोले बाबा के चिलम , तू खेत में क्या उगाता है ! वो बोला गन्ना ! गन्ना उगाकर क्या करता है उखाड़ कर बेच देता है न ! हाँ महाराज ! तो सुन और समझ जा –
जिसको सरकार उखाड़ कर चूस ले उसको कहते हैं गन्ना ! 
जिसका सरकार कुछ उखाड़ न सके को उसको कहते है अन्ना !!
!! जय हो !!

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